सांकेतिक भाषाओं का अंतर्राष्ट्रीय दिवस क्यों मनाया जाता हे || International Day of Sign Languages
हैलो दोस्तों आप सभी का मेरे blog signola मे आपका स्वागत हे | आज मे आपको बताने वाली हु सांकेतिक भाषाओं का अंतर्राष्ट्रीय दिवस क्यों मनाया जाता हे |
23 सितंबर को हर साल अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक दिवस यानि इंटरनेशनल साइन डे मनाया जाता हे | लेकिन क्या आप जानते हे ये दिन क्यों मनाया जाता हे क्या हे इस दिन का इतिहास तो चलिए आपको बताते हे |
आपने अक्षर देखा होगा जो लोग सुन ओर बोल नहीं पाते वोह अपनी बात को अलग ढंग से रखते हे | वोह अपनी बात रखने के लिए अपने हाथ, चहेरे ओर शरीर के हाव भाव का इस्तेमाल करते हे ओर इसे ही साइन लेगवेज कहा जाता हे | जिस तरह हर भाषा के अपने एक व्याकरण ओर नियम होते हे ठीक उसी तरह साइन लेगवेज का भी अपना एक कोर्स होता हे लेकिन ये भाषा लिखी नहीं जाती विश्व बधिर संघ ने अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक दिवस मनाया जानेका प्रस्थाव रखा था | सयुक्त राष्ट महा सभा ने 23 सितंबर 2018 को सांकेतिक भाषा दिवस के रूप मे मनाने की गोसन्ना की
हे | सांकेतिक भाषा दिवस पहेली बार 2018 मे मनाया गया था | तो चलिए आपको बताते हे क्यों मनाया जाता हे साइन लेगवेज डे |
अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस जागृतता ओर उसके महत्व के लिए मनाया जाता हे | इस दिन बधरू के लिए अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित कर उन्हे इस सभाषा नई नई बातों से अवग्र कराया जाता हे | विश्व बधिर संघ के मुताबीत दुनिया मे लगभग 72 मिलियन बधिर हे इनमे बधरू का 80% आकडा सिर्फ विकासशील त्रिषु से हे | विकसशील देशों मे 300 से भी ज्यादा साइन लेगवेज का इस्तमाल किया जाता हे |
भारत मे बोलने ओर सुनने मे आसमर्थ वीकटीओ की समर्थया विश्व मे सबसे ज्यादा हे | क्या हे साइन लेगवेज सीखने के फायेदे सांकेतिक भाषा एक प्राकृतिक भाषा हे जो सिर्फ शरीर के हाव भाव पर ही आधारीत हे इसे एक अदृश्य भाषा भी कहा जाता हे जो की सिर्फ दिखाई देती हे क्योंकि इस भाषा को लिखा नहीं जा सकता |
जब बात आती हे साइन लेगवेज को सीखने की तो आपके सामने 2 विकल्प होते हे | पहेल ये की आप इसे अपने शीख के लिए सिख सकते हे ओर दूसरा ये की भाषा को सीखने के बाद आपके पास करियर मे एक ओर विकल्प जुड़ जाता हे | मोक बधरू को पढ़ने के 2 तरीके तैयार कीये गए हे | इसमे पहेला हे मोखिक संवाद ओर दूसरा इंडियन साइन लेंगवेज ओर आपको बताड़े देश मे इंडियन साइन लेगवेज का चलन ज्यादा हे ओर देश भर के 500 से ज्यादा इस स्कूलों मे इसी पेटन का इस्तमाल किया जाता हे फिलहाल इतना ही नमस्कार |
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