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सावन माह के सोमवार का व्रत, पूजन ओर नियम | Savan maah ke somvar ka vrat, pujan or niyam

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ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌॥ ॐ नमः शिवा | जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं कि सावन का महीना सबसे पवित्र महीना माना जाता है भोलेनाथ की आराधना करने का और हम विचार करने  लगते शिव शंकर की कृपा प्राप्त करने का  यह  सबसे उत्तम महीना होता है | सावन का महीना शुरू होते  ही  हैं  की सावन के महीने में भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए हम क्या करें और क्या ना करें कहीं हमसे कोई गलती ना हो जाए  और हम  पाप के भागीदार न बन जाए | दोस्तों शिव की भक्ति में मगन व्यक्ति सभी पाप और कष्टों से बच्चा रहता है और मोक्ष प्राप्त करता है माना जाता है इस महीने में पूजा अर्चना करने से भोले बाबा प्रसन्न होते हैं आइ अे दोस्तों अब हम आपको बताते हे की सावन के महीने में ऐसा क्या काम है जो महादेव को क्रोधित कर देता है | सर्वप्रथम दोस्तों सावन महीने में बैंगन का सेवन भूलकर भी ना करें |  दर असल इस मौसम में बैंगन में कीड़े लग जाते जिस वजह से इसका सेवन अशुभ माना गया है | इसके अलावा सावन महीने में काले वस्त्र नहीं पहनने चाहिए | और काले रंग के वस्त्र पहनकर भगवान

सावन शनिवार के व्रत के बारे मे जानिए || Savan shanivar ke vrat ke bare me janiye

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    नमामीशमीशान निर्वाणरूपं। विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपं। निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं। चिदाकाशमाकाशवासं भजे हं॥ ॐ नमः शिवाय ||  आप सभी का स्वागत हे | सावन का महिना भगवान शिव का महिना होता हे | भगवान शिव की आराधना कर ने का पावन महिना होता हे | सावन के महीने मे जो भी नियमित रूप से जोभी भगत सच्चे मन से महापुरण की कथा सुनता हे या सुनाता हे भगवान शिव की विशेश कृपया द्रष्टि उन पर बनी रहेती हे | आज आप नियमित रूप से सुबह के समय पे आप इस आर्टिकल मे शिव ओर शनि की पूजा कर से दूर होंगे दोष | सावन महीने में सोमवार के साथ ही शनिवार को भी बहुत खास माना जाता है। शनि दोष, साढ़ेसाती और ढय्या से परेशान लोग शनिवार व्रत की शुरुआत करना चाहते हैं तो सावन शनिवार से व्रत शुरू करना चाहिए। स्कंद पुराण के अनुसार सावन महीने में शनिवार को शनिदेव के साथ भगवान शिव की विशेष पूजा करनी चाहिए। जिससे कुंडली में मौजूद ग्रह-स्थिति से बन रहे दोषों से छुटकारा मिल जाता है।  सावन में शनि  और शिव की पूजा भगवान शिव शनि देव के गुरु   शिव ने ही शनि देव को न्यायाधीश स्थापक दिया था | इसके फल स्वरुप शनि देव मनुष्य को कर्मों क

सावन मास की व्रत कथा || Savan mas ki vrat katha

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  न मस्कार दोस्तों आज के हमारे इस आर्टिकल में हम आपके लिए सावन महीने की भोलेनाथ और माता पार्वती की एक बहुत सुंदर कहानी लेकर आए हे | तो चलिए शुरू करते हे सावन मास की व्रत कथा | एक समय की बात है | सावन का महीना था | भगवान शिव और माता पार्वती कैलाश पर्वत पर बैठे थे | माता पार्वती ने धरती पर देखा कि कोई शिवलिंग पर दूध चढ़ा रहा था तो कोई शिवलिंग पर जल चढ़ा रहा था तो कोई दूर-दूर से गंगाजल लाकर  शिवलिंग पर चढ़ा रहा था | तब माता पार्वती ने भोलेनाथ से पूछा प्रभु पृथ्वी पर सभी मनुष्य आप पर इतना दूध और  जल आदि अर्पित कर रहे हैं  इसका इन्हें  क्या फल प्राप्त होगा | भोलेनाथ भोले पार्वती सावन माह में मुझे जल अर्पित करने का इतना महत्व है कि मुझे जल अर्पित करेगा  वह स्वर्ग को प्राप्त करेगा | यह सुन माता पार्वती से रहा नहीं गया उन्होंने फिर पूछा तो क्या यह लाखों-करोड़ों लोग जो जल अर्पित कर रहे हैं यह सब स्वर्ग को प्राप्त करेंगे तो प्रभु बोले पार्वती तन से स्नान कराने से ज्यादा महत्व मन से स्नान कराने का है | तब माता पार्वती बोली प्रभु यह कैसे पता चलेगा कि कौन मन से स्नान करा रहा है | तब भोले नाथ भोले

वट सावित्री व्रत क्यों किया जाता हे जानिए | Vat Savitri vrat kyo kiya jata he janiye

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हैलो दोस्तों आप सभी का मेरे blog signola मे आपका स्वागत हे | आज मे आपको बताने वाली हु तो आज शुरू करते हे वट सावित्री व्रत क्यों किया जाता हे जानिए  | एक स्त्री जो अपने पति को यमराज से वापस ले आई थी | पति के लिए उसकी ऐसी भावना पूरे भारत वर्ष मे एक व्रत के रूप मे मनाया जाता हे |  हैलो दोस्तों My blogs  Signola  मे  आपका हार्दिक स्वागत हे | आज हम बात कर रहे हे सावित्री की क्यू उसने सत्यवान से विवाह किया ओर कएसे यमराज से सत्यवान के प्राणों को वापस ले आई | अेसे ही कुछ प्रश्नों के उतर मिलेगे आपको आज के आर्टिकल मे |  वट सावित्री व्रत के दिन वट वृक्ष की पूजा की जाती है, जिससे विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है।  बरगद की जड़ में भगवान ब्रह्मा, छाल में भगवान विष्णु और शाखाओं में भगवान शिव निवास करते हैं। इस कारण से भी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। त्रेतायुग में जब भगवान श्रीराम वनवास में थे, तब वे तीर्थराज प्रयाग में ऋषि भारद्वाज के आश्रम में गए थे। वहां उन्होंने वट वृक्ष की भी पूजा की। इसलिए बरगद के पेड़ को अक्षयवट भी कहा जाता है। आज उसके बारे पूरी

आत्मा क्या है जानिए | Aatma kya hai janiye

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    हैलो दोस्तों आप सभी का मेरे blog signola मे आपका स्वागत हे | आज मे आपको बताने वाली हु तो आज शुरू करते हे  कर्म क्या है  | तो 24 वस्तु से बना मनुष्य नामक यंत्र मे वाश करता है ये पुरुष अर्थात परमात्मा का अंश उसे आत्मा कहा गया है | जब प्रकृति ओर पुरुष का मेल होता है अर्थात जब परमात्मा का अंश आत्मा जानकर मनुष्य ध्येय मे वाश करता है | तब मनुष्य जीवित होता है | मनुष्य जे से रथ का उपयोग करता हैवेसे ही आत्मा शरीर नामक इस यंत्र का उपयोग करती है | शरीर के माध्यम से शरीर सुख दु:ख का उपभोग करती है पर आत्मा शरीर नहीं है | इस शरीर का नाश किया जा सकता है पर आत्मा का नाश नहीं किया जा सकता | नैंन छिंदन्ती शसत्राणी नैंन दहती पावक : |                न चैनं क्लेदयनत्यायो न शोष्यति मारुत : || अनुवाद : आ त्मा न शस्त्रों से छेदी जा सकती है ना ही अग्नि से जलाई जा सकती है न उसे जल से निर्बल कर सकता है नहीं पवन उसे सुख सकता है |  आत्मा शरीर मे रहते हुए भी अमर है | शरीर की हत्या की जाती है पर आत्मा की हत्या की हत्या नहीं की जा सकती | आत्मा सर्व

मन क्या है ? | Man kya hai

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                   हैलो दोस्तों आप सभी का मेरे blog signola मे आपका स्वागत हे | आज मे आपको बताने वाली हु   तो आज शुरू करते हे   मन क्या है  |                    “ मन के हारे हार है ,                     मन के जीते जीत है |” कभी सोचा आपने की आखिर ऐसा क्यू है | क्यू ये कहावत बनी ओर क्यू मन के हार ने से व्यक्ति क्यू हार जाता है ओर मन जीतने से मन क्यू जीत जाता है आखिर क्या मन के हार ने या जीतने का कारण वो किस तरह हमारे हार कार्य मे सहायक है तो चलिए जानते है |  जब व्यक्ति अपने मन मे ये सोच लेता है वो ये काम नहीं कर सकता | तो वो अपने अंदर नकारात्मक गुण पैदा कर लेता है | ओर साथ ही अपने मन मे हार मन लेता है ओर फिर मन हार ने लगता है फिर वो व्यक्ति वो काम नही कर पत्ता है जिससे पत्ता चलता है की मन किसी भी नकारात्मक विचार का ले लेता है तो मन के अंदर भी नकरात्मत ऊर्जा उत्पन्न हो जाती है जिससे की व्यक्ति के जीवन पर उसके कार्य मे नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव पड़ती है | जब व्यक्ति अपने मन मे ये सोच लेता है की वो ये काम कर सकता है | तो अपने मन मे  सकारात्मक गुण पैदा कर लेता है ओर फिर चाहे  क

ज्ञान का महत्व क्या है जानिए | Gyan ka mahatv kya hai janiye

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           हैलो दोस्तों आप सभी का मेरे blog signola मे आपका स्वागत हे | आज मे आपको बताने वाली हु तो आज शुरू करते हे  ज्ञान का महत्व क्या है  जानिए  |   ज्ञान मतलब किसी भी चीज या वस्तु के बारे में सही व अच्छी जानकारी ही है।और ज्ञानी बनने के लिए जरूरी नहीं कि आप के पास कोई बड़ी - बड़ी उपाधियाँ हो या आप महंगे विद्यालयों में पढ़ें। ज्ञान किसी से भी , कहीं से भी प्राप्त हो सकता है चाहे सजीवों से प्राप्त हो या निर्जीवों से। किसी इंसान का सही ज्ञान ही उसे सफलता की राह तक लेकर जाता है।                          “ हमारे व्यक्तित्व को आकार देने और लोगों के साथ व्यवहार को सही                                                 करने के लिए ज्ञान बहुत ही महत्वपूर्ण है। “ हमें खुद को, हमारी ताकत और कमजोरियों को समझने की जरूरत है। हमें जीवन की कला सीखने की जरूरत है |  ज्ञान ओर अज्ञान मे इतना भेद है की बीच मे एक परदा लगा होता है |जहा ज्ञान ओर अज्ञान के बीच का परदा खुल गया , अज्ञान समाप्त हो गया ओर ज्ञान की ज्योति जग गई |  इस प्रकार अज्ञान रूपी अंधकार फंसा हुआ होता ही हमेशा के लिए सत्य के रास्ते

धर्म क्या है? | Dharm kya hai

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                                       हैलो दोस्तों आप सभी का मेरे blog signola मे आपका स्वागत हे | आज मे आपको बताने वाली हु   dharm kya hai  | तो आज शुरू करते हे  धर्म क्या है? | धर्म के विषय मे सब विचार करते है | कोई अपने ही धर्म के विषय मे य कोई अन्य के धर्म के बारे मे लेकर चर्चा होती रहती है | कोई भी ऐसा नहीं की धर्म के विषय मे चर्चा नहीं करता हो | धर्म का अर्थ मंदिर या मस्जिद से नहीं है | धर्म का अर्थ कर्तव्य से है | यदि हार व्यक्ति धर्म का पालन नहीं करेगा तो पूरे समाज का अस्तित्व संकट मे पड जायेगा | ब्राह्मण का धर्म है अज्ञात का नाश करना , क्षत्रिय का धर्म है अन्याय का नाश करना , वैश्व  का है अभाव का नाश करना , शुद्ध का धर्म है सेवा करना अगर हम अपने धर्म को जानकर काम करेंगे तो हम अच्छे लोकांतरो मे जन्म लेकर सुख भोगेगे , ओर अगर हम धर्म के विपरीत काम करेंगे तो अन्य जन्तु जे से कुत्ते , गधे  आदि नीच योनीयों मे डाल दिए जायेंगे | वहा अपने दायरे मे पड़े रहेंगे उससे आगे नहीं निकल पायेगा | धर्म कितने है | चलो जानते है |  ईसाई धर्म  मुस्लिम धर्म  धर्म निवेश लोग ( किसी का कोई धर्म ही नही

कर्म क्या है || Karm kya hai ||

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                                    हैलो दोस्तों आप सभी का मेरे blog signola मे आपका स्वागत हे | आज मे आपको बताने वाली हु तो आज शुरू करते हे  कर्म क्या है  | ये हमे मानव जीवन मे मिल है कर्म ओर समय से बंधा हुआ है जिससे कोई बच नहीं सकता | हम न चाहे तो भी समय तो चले गा ही ओर न चाहते भी कर्म तो करते है | अब आप सोच रहे है की कर्म नही करना चाहते तो भी के से हो जाता है इसके लिए कर्म के प्रकार जानने होंगे | "How people treat you is their karma, how you react is yours" कर्म के तीन प्रकार है | क्रियमाण संचित  प्रारब्ध  1. क्रियमाण : क्रियमाण मतलब हम जो भी कार्य कर रहे जे से की अभी हम बैठे है , अभी हम सोच रहे है , ये जो भी कार्य कर रहे है वो समय के साथ हो रहा है वो हमारे क्रियमाण मे सेव होता है | अब इसमे भी तीन प्रकार है |  शारारिक   मानसिक   वाचिक   शारारिक : हम शरीर के द्वारा जो भी कार्य करते है जे से के खाना खाना , चलना , दोड़ना ठीक है जो भी हम शरीर से क्रिया कर रहे है वो हमारी शारारिक क्रिया है

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