सावन शनिवार के व्रत के बारे मे जानिए || Savan shanivar ke vrat ke bare me janiye

  नमामीशमीशान निर्वाणरूपं। विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपं।

निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं। चिदाकाशमाकाशवासं भजे हं॥

ॐ नमः शिवाय ||  आप सभी का स्वागत हे | सावन का महिना भगवान शिव का महिना होता हे | भगवान शिव की आराधना कर ने का पावन महिना होता हे | सावन के महीने मे जो भी नियमित रूप से जोभी भगत सच्चे मन से महापुरण की कथा सुनता हे या सुनाता हे भगवान शिव की विशेश कृपया द्रष्टि उन पर बनी रहेती हे | आज आप नियमित रूप से सुबह के समय पे आप इस आर्टिकल मे शिव ओर शनि की पूजा कर से दूर होंगे दोष |


सावन महीने में सोमवार के साथ ही शनिवार को भी बहुत खास माना जाता है। शनि दोष, साढ़ेसाती और ढय्या से परेशान लोग शनिवार व्रत की शुरुआत करना चाहते हैं तो सावन शनिवार से व्रत शुरू करना चाहिए। स्कंद पुराण के अनुसार सावन महीने में शनिवार को शनिदेव के साथ भगवान शिव की विशेष पूजा करनी चाहिए। जिससे कुंडली में मौजूद ग्रह-स्थिति से बन रहे दोषों से छुटकारा मिल जाता है। 



सावन में शनि  और शिव की पूजा भगवान शिव शनि देव के गुरु   शिव ने ही शनि देव को न्यायाधीश स्थापक दिया था | इसके फल स्वरुप शनि देव मनुष्य को कर्मों के अनुसार फल देते | इसलिए सावन के जो भी भगवान शिव जी के साथ साथ  शनि देव की उपासना करता है उसको शुभ फल प्राप्त होता है भगवान शिव के अवतार   विपलाद, भैरव तथा रुद्राक्ष हनुमान जी की पूजा भी  शनि के प्रकोप से रक्षा करती है | पीपल के पेड़ के ऊपर वाले हिस्से में भगवान शिव का 

वास होता है इनके साथ ही पीपल में शनिदेव का भी स्थान होता है इसी भगवान शिव और शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए पीपल की पूजा का ज्ञान है| लिंग पुराण के अनुसार दीवार को पीपल के पेड़ को स्पर्श करने से उम्र बढ़ती है |




सुबह जल्दी उठकर स्नान कर कर  पीपल  के पेड़ को प्रणाम करें  उसके बाद दोनों हाथों से पीपल को स्पर्श करें के उसके साथ है 108 बार ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें | इससे अकाल मृत्यु नहीं होती सावन शनिवार को शनि पूजा के साथ ही जान भी करें | शनिदेव के मंदिर में जाकर शनिदेव की मूर्ति तिल के तेल से उसका अभिषेक कराएं  उसके बाद नीले फूल और बेलपत्र भी चढ़ा है | शनि देव को तेल, दीप और धूपबत्ती का दर्शन करवाएं | इसके बाद तुवर की दाल और चावल से खिचड़ी का भोग लगाएं इस तरह पूजा करने के बाद काले कपड़े में उड़द की दाल , काले तिल , भोजन के तेल और कुछ पैसे रख कर किसी ब्राह्मण को दान करें |   वही साथ  श्रद्धा अनुसार जूते,  चप्पल  वह भी दान कर सकते हैं | शिवपुराण की शत्रु  गीता के अनुसार शनिदेव की पूजा के बाद विश्वामित्र  पीपलाद मुनि और विश्वामित्र पिता गांधी तीनों का नाम लेकर इन्हें प्रणाम करें ऐसा करने से शनि पीड़ा नहीं होती | भगवान भोलेनाथ और शनि देव आपका कल्याण करें हम तो यही कामना करते हैं 


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