what is Dark Matter & Dark Energy?

हैलो दोस्तों मे हु Julie आप सभी का मेरे blog signola मे आपका स्वागत हे | आज मे आपको बताने वाली हु what is Dark Matter & Dark Energy?| तो आज शुरू करते हे what is  Dark Matter & Dark Energy?|


अनंत फेलायेला ब्रह्मांड अपने अनेकों रहस्यों छुपाय हुए हे | इसके बारे मे जितना जानने की कोशिश कर रहे हे उतने ही नए प्रश्न हमारे सामने खड़े होते जा रहे हे | अब तक हामे लगता त की ब्रह्मांड मे मात्र केवल अणु, परमाणु, सितारे, ग्रह, पेड़, चटान ओर जीव-जन्तु के रूप मे ही मोजूद हे | जो हामे स्पष्ट रूप से दिखाई भी देते हे परतू ऐसा नहीं हे असल मे जो ब्रह्मांड हामे दिखाई देता हे वह वास्तविक ताका केवल छोटासा अंश हे | आपको ये जानकार हेराणी होगी की इस ब्रह्मांड का 96 % भाग ऐसे मैटर से बना हे जो हामे दिखाही नहीं देता | खगोलशास्त्र की माने तो इस ब्रह्मांड मे 21 % भाग डार्क मैटर से बना हे | 74 % भाग डार्क एनर्जी से तथा केवल 4 % भाग मैटर से बना हे | तो आखिर डार्क मैटर ओर डार्क एनर्जी हे क्या ? जानेगे आज के इस आर्टिकल मे तो चलिए शुरू करते हे आज का यह आर्टिकल | स्वागत हे आप सभी का My blogs Signola मे |




1990 दसे के शुरुआती वर्षों तक ज्ञात था की हमारा ब्रह्मांड निरंतर फेलता जा रहा हे | इसके फेलने के बारे मे एक ओर चीज पक्के तोर पर कहे रहे थे ओर वोह ये था की यातों इस ब्रह्मांड की एनर्जी डेनसिटी इतनी पर्याप्त हे की एक समय इसका फेलन बांध हो जायेगा ओर ये पुनहर एक बिन्दु मे समा जायेगा या फिर इसकी एनर्जी डेनसिटी इतनी कम हे की ये हमेशा फेलता ही रहेगा | यहा आप सोच रहे होगे ये एनर्जी डेनसिटी क्या हे ? दर्सल एनर्जी डेनसिटी एनर्जी की वोह मात्रा हे जिसे हम एक प्रदार्थ या सिस्टम मे स्टोर कर शके |  शाधारण शब्दों मे कहू तो अगर किसी प्रदार्थ की एनर्जी डेनसिटी ज्यादा हे तो उसका  मतलब हे की उस प्रदार्थ मे ज्यादा एनर्जी स्टॉक हे मतलब की उनका अनुमान था की यातों ब्रह्मांड एक बिन्दु मे बराबर क्षमा जायेगा या फिर फेलता  ही रहेगा | अपनी एनर्जी डेनसिटी अनुसार पर थोरी के मुताबीत एक बात बिल्कुल तय थी की गुरुत्वा कर्षण की फेलने की गति को बितते समय के साथ धीमा करता जायेगा ऐसा वोह इसलिए मानते हे क्योंकि उन्हे लगता था की ये ब्रह्मांड सामनय तोर पर दिखाई देने वाले प्रदार्थो से बना हे ओर उनका गुरुत्वा कर्षण पूरे ब्रह्मांड को बांधे हुए हे | गुरुत्वा कर्षण के खिचाव के कारण इसके फेलने की गति का धीमा होना स्वाभिक था पर 1998 मे हवाईटेलिस्कोप ने एक सुपर नोवा की एक तस्वीर खिची जिससे यह पता चला की हमारे ब्रह्मांड के फेलने की गति भूतकाल मे आज के मुकाबले धीमी थी | इसका मतलब था की इसके फेलने की गति घटने की बजाह ओर बढ़ रही हे जोकी उस समय के खगोलशास्त्र के थियोऋ के विपरीत था | सबको मालूम था की कुछ तो हे जिसके कारण ऐसा हो रहा हे पर कोई भी उसे समजा नहीं पा रहा था | अंत मे इस बुद्धि को सुलजाने के लिए उन्होंने एक एनर्जी की कल्पना की जो ब्रह्मांड के खाली स्थानों मे मोजूद रहेती हे तथा इसे नाम दिया डार्क एनर्जी | डार्क एनर्जी खाफी अजीब ओर रहस्यमय हे | ये हमारे आसपास हर जगह मोजूद हे पर हम नहीं इसे हम माप सकते हे ओर नहीं इसे टेस्ट कर सकते हे | लेकिन बहुत ही स्पष्ट रूप से इसका प्रभाव देख सकते हे | ब्रह्मांड मे जहा जहा खाली स्थान हे वहा हर सेकेंड नई संरचना हो रही हे | ऐसा प्रतीत हो रहा हे मानो डार्क एनर्जी कुछ इस तरह की ऊर्जा हे जो खाली जगाह की अंतरभूत हो सकती हे क्योंकि खाली जगह के पास सयुक्त ब्रह्मांड मे मोजूद सभी चीजों की तुलना मे अधिक ऊर्जा हे | डार्क एनर्जी क्या हो सकता हे इस पर कई विचार हे |

1. डार्क एनर्जी ब्रह्मांड मे मोजूद खाली स्थानो की एक प्रोपटी हो सकती हे अल्‍बर्ट आइंश्‍टाइन ऐसे पहेले शक्ष थे जीनों ने ये कहा था खाली स्थान केवल दिखने मे खाली होते हे पर उन्मे कुछ आश्चर्य जनक गुण होते हे | पहेला गुण जिसके बारे मे उन्होंने कहा था वह यह था की ब्रह्मांड मे खाली स्थान खुदम खुद बन सकते हे तथा इसकी मात्र ब्रह्मांड के फेलने के साथ बढ़ सकती हे | उन्होंने अपनी थियरी ओर ग्रेविटी मे एक कोस्मो लॉजीकल कॉस्टमेंट का जीकर किया था तथा बताया था की खाली स्थानों की अपनी एक एनर्जी होती हे | जितना ज्यादा खाली स्थान बढ़ेगा उतनिही ये एनर्जी बढ़ेगी | जिससे की ये ब्रह्मांड सदा फेल्ट ही रहेगा पर उस समय वोह ये नहीं समजा पाये की आखिर इस पस्नो लॉजीकल कॉस्टमेंट की जरूरत ही क्या थी | जिसके कारण उनकी उस थियरी को नकार दिया गया था शायद ये पस्नो लॉजीकल कॉस्टमेंट डार्क एनर्जी हे |


2. यह खाली स्थान वास्तव मे अस्थाई हे ओर आभासी कर्णो  से भरी हुई हो | यह कण लगातार सतक ही  बनते रहते हो तथा वापस कहीं अदृश्य हो जाते हो | इन कर्णो  में स्थित ऊर्जा डार्क एनर्जी हो सकती है पर यहां एक दिक्कत है जब भौतिकिक शास्त्रियों ने यह गणा करने की कोशिश की ऐसी एनर्जी खाली स्थान को कितनी एनर्जी  प्रदान कर सकती है टोन का कैलकुलेशन गलत साबित हुआ क्योंकि यह वास्तव के डार्क एनर्जी से 10 पर पावर 120 गुना ज्यादा था | डार्क एनर्जी हमारे लिए अभी भी एक रहस्य बना हुआ है | अंतिम विचार यह है के आइंश्‍टाइन थियरी ग्रेविटी गलत है तथा हमें इसे फिर से समझने की जरूरत है हमें एक ऐसे थियरी की जरूरत है ब्रह्मांड के गुण को समझा सके पर ऐसी नई  थीयरी क्या हो सकती है | आज तक हम आइंश्‍टाइन थियरी ऑफ ग्रेविटी कारण ही ब्रह्मांड में मौजूद खगोलिय पिडो के व्यवहार को न सिर्फ समझते आए हैं बल्कि उन्हें कहीं भी पाया है | ऐसे में एक बिल्कुल नई थियरी की कल्पना करनी भी मुश्किल है | ऐसे में डार्क एनर्जी का रहस्य फिलहाल तो सुलजता हुआ प्रतीक नहीं होता | यह तो हुई डार्क एनर्जी की बात है | 


आइए अब जानते हैं | डार्क मैटर के बारे में बीते कुछ बरसों में हमने सोचसे यह पाया की ब्रह्मांड में मौजूद प्रत्यक्ष पदार्थ का गुरुत्वाकर्षण आकाश गंगा अे और अन्य जटिल संरचनाएं बनाने  के लिए  मजबूत नहीं है अगर वह मजबूत होता तो आकाश गंगा ओ की जगह पूरे ब्रह्मांड में सही जगह पर तारे दिख रहे होते उनके झुंड नहीं | इसका मतलब है की कोई ऐसी सामग्री है जो ब्रह्मांड में आकाश गंगा का अस्तित्व बनाए रखता है लौकी ऐसी कोई सामग्री हमें दिखाई नहीं देती इसे डार्क मैटर का नाम दिया गया है पर डार्क मैटर वास्तव में क्या और कैसा है | दुर्भाग्य से हमें ऐसा कोई भी सुराग अबतक नहीं मिला है जीससे हम यह जान सके  ओके जान की डार्क मैटर है क्या और वो काम कैसे करता है | अब तक हम केवल यह जानते हैं की यह निश्चित रूप से ब्रह्मांड में मौजूद है क्योंकि यह गुरुत्वाकर्षण के साथ प्रति क्रिया करता है | आइंश्‍टाइन थियरी के अनुसार विशाल और भारी खगोलीय पिंड जैसे कि ब्लैक होल्स , स्पेस ओर टेन को विपरीत करते हैं तथा प्रकाश की दिशा  भी  मोड़ देते हैं  | ब्रह्मांड में डार्क मैटरवह खाली स्थान होते हैं जो प्रकाश की दिशा मोड़ देते हैं जीससे उनकी मौजूदगी का पता चलता है | इस  प्रक्रिया को ग्रेविटेशनल लैंसिंग कहते हैं तथा यह प्राकृतिक लेंस की तरह काम करता है | जिससे हम मौजूद आकाशगंगा ओ को देख पाते हैं डार्क मैटर शायद एक जटिल और अनोखे कणों से बना है किसी भी तरह के पदार्थ कॉल प्रकाश साथ प्रतिक्रिया नहीं कर हम जानते हैं डार्क मैटर एंटी मैटर नहीं है क्योंकि एंटीमैटर सामान्य पदार्थों के साथ प्रतिक्रिया कर गामा किरणों का पादन करते है | हम यह भी जानते हैं डार्क मैटर ब्लैक होल से भी नहीं बने हैं क्योंकि यह काफी मात्रा में मौजूद है यह सामान्य पदार्थ थो से बने काले बादल भी नहीं है आखिर यह किस चीज से बने हो सकते हैं ज्यादातर वैज्ञानिक मानते हैं कि यह नन बिरयोनि कार्ड से बने हो सकते हैं हम अब तक जिन पदार्थ ओ के बारे में जानते हैं जैसे कि इलेक्ट्रॉन ,प्रोटॉन ,न्यूट्रॉन सब बिरयानीक पदार्थ आते हैं | इसका मतलब है कि यह ऐसे पदार्थ से बने हो सकते हैं जीनके बारे में हम अभी तक नहीं जानते | से पदार्थ को की खोज हमारे विज्ञान को कई गुना आगे ले जा सकती है | वैज्ञानिकों के अनुसार पदार्थ की वह खोज कर रहे हैं का नाम WIMPS  यानी कि वीकली इंटरएक्टिव बेसिक पार्टिकल है तथा इनका मास एक प्रोटोन बात से सौ गुना अधिक है पर वह साधारण पदार्थों से प्रतिक्रिया नहीं करते के कारण उन्हें डीटेक करना काफी मुश्किल है | न्यूट्रालीनो भी पोटेशियम कैंडीलैंड है न्यूटन से भारी और धीमे में होते हैं | लेकिन ऐसे पार्टिकल भी अभी तक देखे नहीं गए हैं कुछ वैज्ञानिक यह भी मानते डार्क मैटर आकाश गंगा ओ का ऐसा समूह है जो अदृश्य है  तथा वहां फिजिक के सिद्धांत अलग तरह से काम करते हैं | 


जैसा कि मैंने पहले   ही बताया डार्क एनर्जी और डार्क मैटर के बारे में हम अभी तक आप ही कब जानकारियां इकट्ठा कर पाए मतलब कि हमारे अभी कई कैसे सवाल है जिनके जवाब मिलना अभी बाकी है | डार्क एनर्जी और डार्क मैटर के बारे में हमारे पास जितने भी सिद्धार्थ  हे  वो अभी तक केवल  सिद्धांत ही है | भविष्य में हम इन सिद्धांतों को हम सुलझा पाए आज के इस आर्टिकल में बस इतना ही | 


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