कर्म क्या है || Karm kya hai ||

                              

   हैलो दोस्तों आप सभी का मेरे blog signola मे आपका स्वागत हे | आज मे आपको बताने वाली हु तो आज शुरू करते हे  कर्म क्या है  |

ये हमे मानव जीवन मे मिल है कर्म ओर समय से बंधा हुआ है जिससे कोई बच नहीं सकता | हम न चाहे तो भी समय तो चले गा ही ओर न चाहते भी कर्म तो करते है | अब आप सोच रहे है की कर्म नही करना चाहते तो भी के से हो जाता है इसके लिए कर्म के प्रकार जानने होंगे |


"How people treat you is their karma, how you react is yours"




कर्म के तीन प्रकार है |


  1. क्रियमाण

  2. संचित 

  3. प्रारब्ध 


1. क्रियमाण :

क्रियमाण मतलब हम जो भी कार्य कर रहे जे से की अभी हम बैठे है , अभी हम सोच रहे है , ये जो भी कार्य कर रहे है वो समय के साथ हो रहा है वो हमारे क्रियमाण मे सेव होता है | अब इसमे भी तीन प्रकार है |


  1.  शारारिक 

  2.  मानसिक 

  3.  वाचिक  


  1. शारारिक : हम शरीर के द्वारा जो भी कार्य करते है जे से के खाना खाना , चलना , दोड़ना ठीक है जो भी हम शरीर से क्रिया कर रहे है वो हमारी शारारिक क्रिया है |


  1. मानसिक : हम जो सोच ते है वो भी  सोच ने की क्रिया करते है ये करना है वो करना है , हमको यह जाना है यह पे कुछ खाना है जो भी हम सोच ते है वो हमारा मानसिक क्रिया है |


  1. वाचिक : हम किसी से बोल रहे है जे से की अपने दोस्त को बोल रहे है की आज हमको यह जाना है य कुछ भी कर रहे है समझ रहे है सिर्फ बोलने वाली वो हमारा होता है वो हमारी वाचिक क्रिया है |


2. संचित :

आप कर्म करके पैसा कमाते है पैसा कमा के आप क्या करते है बेंक मे जाते है ओर बेंक मे जमा करते है | ओर आप से फट करते है पैसे को , अपने को ओर क्रम को जो भी आप करते है उससे अजीत पैसे को सेफ करते है ये पैसा है आपका कर्म नहीं है वो कर्म से ही आपको पैसे मिले है संचित कर्म हि आपको पैसा मिलता है | जो भी हम कर्म करते है अच्छा भूरा ठीक है वो सब हमारे संचित कर्म मे सेव ही जाता है |अब आपको समझ आ गया होगा की आपको कर्म अच्छा करना है य भूरा यानि आपका कर्म अच्छा करना है य भूरा जे सा कर्म वे सा कर्म सेव होगा संचित मे उसका आपको परिणाम मिलेगा | कुछ लोग पुर्ने जन्म पर विश्वास नहीं करते चली ये कोई बात नहीं हम इस जन्म की ही बात करते है आप इस जन्म मे के से कर्म कर रहे है आपकी पूरी स्टोरी संचित मे आ जाती है |


3. प्रारब्ध :

जो भी हम अपना क्रम किए है उसका फल अच्छा या  भूरा मिलता है आपको हम उदाहरण देते है आपने खेती किया ओर खेती करके गेहू इस्टोर कर दिया सोच लो के आप एक भ्रम है आपने गाँव देखा होगा की भ्रम मे एक नीचे छेद होता है जिससे लोग आसानी से गेहू को बार बार निकालने का उस करते है एक बार मेहनत करते है साल भर मेहनत करके इसको स्टोर किए इसी कर्म को हम लोग हार दिन उसका प्रयोग करते है | लोग हम संचित उसका उपयोग जो हम करेंगे वही हो जाए गा हमारा प्रारब्ध बिना कर्म किए आप रह नहीं सकते है आपको कर्म तो करना पड़ेगा चाहे आप जा हो या न जा हो |तो आपको कर्म तो करना ही है आप अच्छा कर्म करो य भूरा कर्म ये आपको सोचना है की आप कोन सा काम करेंगे अच्छा य भूरा जब कर्म करना ही है तो अच्छा कर्म क्यों ना करे ओर अच्छा काम करने से ही लाभ मिलेगा क्योंकि आप अच्छा कर्म करेंगे उसका फल भी अच्छा मिलेगा |   


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